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उड़ना चाहती थी मैं

# दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय 


शीर्षक - उड़ना चाहती थी मैं

उड़ना चाहती थी जब जब मैं
पंखों को मेरे काटा गया
कभी बेटी बनकर, कभी बहन बनकर
कभी पत्नी बनकर मुझे झुकाया गया
कमजोर हूँ मैं नही मुझमे हिम्मत
हर बार मुझे ये बताया गया
माहौल ठीक नही लड़की के लिए
इस बात से मुझको डराया गया
बचपन मे बोले सब जाना अगले घर
हर घर का काम भी सिखाया गया
रात हो गई, बाहर मत जाओ
कायर कमजोर मुझे बनाया गया
झाड़ू पोछा और बर्तन को
बचपन से ही दोस्त मेरा बनाया गया
सपने लेकर ससुराल आ गई
मुझे यहां भी खिलौने की तरह चलाया गया
कपड़े सास की पसन्द के पहने
ननद के हाथ से सजाया गया
पेट भरने को जो मिला था खाना
औरों की पसन्द को उसमें मिलाया गया
सिर पर  घूंघट लगी मैं करने
घुटन को भी अपनाया गया
कहाँ हूँ मैं कौन हूँ मैं
मेरी पहचान को सबसे छुपाया गया
बनी सहेली मौत मेरी अब
मेरी आखिरी सांस से आजाद मुझे कराया गया।

कोमल भालेश्वर

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6 Comments

उत्तम, उत्कृष्ट, सर्वोत्तम, outstanding

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Gunjan Kamal

22-Nov-2022 10:50 PM

बहुत ही सुन्दर

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Punam verma

22-Nov-2022 08:18 AM

Very nice

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